भारत देश को धार्मिक त्योहार का गढ़ कहा जाए तो गलत नहीं होगा लेकिन हिंदुओ में किसी भी धार्मिक पूजा शुरू करने से पहले गणेश पूजा की जाती है आइये जानते है हिन्दू पूजा में गणेश पूजा को प्रथम स्थान क्यों दिया गया है।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सभी देवता भगवान शिव के पास गए और उनसे पूछा कि, है माहादेव आपी ही बताएं सभी देवताओं में से सबसे पहले किस देवता की पूजा होनी चाहिए। तब भगवान शिव समझ गए की सभी देवता अपने आप को श्रेष्ठ मानने का अहंकार लेकर आएं है। भगवान शिव ने सभी देवताओं से कहा कि, जो संपूर्ण ब्रह्माण्ड की परिक्रमा सबसे पहले कर के आएगा। वही सबसे पहले इस जगत में पूजा जाएगा। सभी देवता अपने वाहन पर बैठ कर पूरे ब्रह्माणड की परिक्रमा करने निकल गए। लेकिन गणेश जी ने उस समय सभी देवताओं की तरह ब्रह्माणड की परिक्रमा न करने की जगह भगवान शिव और मां पार्वती की सात परिक्रमा करी और फिर उनके सामने होथ जोड़ कर उनसे आशीर्वाद लिया।
देवता गण जब ब्रह्माणड की परिक्रमा कर भगवान शिव के पास पहुंचे। तब भगवान शिव ने गणेश जी को विजयी घोषित किया और उन्हें प्रथम पूज्यनीय देवता का वर्दान दिया। यह देख कर सभी देवता हैरान हो गए और भगवान शिव से कहा कि, आपने तो कहा था जो सबसे पहले पूरे ब्रह्माणड की परिक्रमा कर के आएगा उसे आप प्रथम पूज्यनीय देवता घोषित करेंगे। लेकिन आपने तो श्री गणेश को यह उपाधि दे दी। जबकी वो हमारे साथ न जाकर यहीं आपके पास खड़े हैं।
देवताओं के सवाल पूछने के बाद भगवान शिव ने कहा कि, यह तो शास्त्र प्रमाणित है कि, संपूर्ण ब्रह्माण्ड माता-पिता के चरणों में है। संपूर्ण ब्रह्माण्ड में माता-पिता का स्थान सबसे उपर है। इस बात को सभी देवताओं ने स्वीकार किया और श्री गणेश को हाथ जोड़ कर प्रणाम किया। इस प्रकार भगवान गणेश प्रथम पूज्यनीय देवता बने और इसी कारण उनकी पूजा करने के बाद ही अन्य देवताओं की पूजा की जाती है।
गणेश चतुर्थी हिंदुओ का एक प्रमुख त्यौहार है जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है इस दिन लोग भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और उन्हें विधि-विधान से पूजते हैं. इस बार गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाया जा रहा है
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । news24x365 एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)